मायका-"दिल्ली और गर्मी की छुट्टियाँ"
**"दिल्ली और गर्मी कि छुटियां"** सबकी तरह मुझे भी गर्मी की छुट्टीयां बहुत भाती है और भाए भी क्यों ना जब ज़िन्दगी हज़ार उलझनों के साथ दम घोटने की कोशिश करती है तो पीहर की हवा सारे दर्द मिटाने की ताकत रखती है और ये एहसास दिलाती है कि "जिंदा हो तुम...अभी भी बहुत कुछ बाकी है तुम में". उस हवा में माँ का प्यार तो पापा का लाड होता है और साथ मे भाई-बहनों के साथ का तकरार...। फिर मेरे पीहर में तो सयुंक्त परिवार की वजह से रिश्तों की और भी खूबसूरत मोतिया थी जैसे चाचा-चाची,बुआ वगैरह। माँ कभी कोई काम नही करने देती थी मायके मेंं पर हजार काम मेरे नाम से रखती..तू आगयी ना तो बाजार चलना मेरे साथ ,नयी चूड़ियाँ आयी हैं आजकल...बच्चो के कपड़े भी ले दूंगी..अच्छे एक दिन तुझे मेरे साथ चाची के घर चलना होगा बहुत याद करती है तुझे... ना जाने ऐसे कितने काम माँ मेरे नाम का रखी रहती और ऐसे ही मिलते-मिलाते छुट्टियाँ खत्म होने लगती पर कुछ अलग होती थी मेरी गर्मी की छुटियां...किश्तों में बटी हुई। समझ ही नही आता कि इन छुटियों के आने पर खुश होजाऊँ या शून्य होजाऊँ...।। माँ हर छुट्टियों में पु...