तहज़ीब के नाम पर बंदिशे
#यूँही
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""तहज़ीब के नाम पर बंदिशे लगायी गयी
हम लड़कियां है हर बार बात बस यही बतायी गयी।
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""पायल की छनकती,
शोख़ आवाजें बारिश की बूंदों के साथ अठखेलियां कर रही थी........
बिलकुल बेपरवाह-सी,मगन होकर,
स्वच्छंद बढ़े जा रही थी गलियों में
जैसे बारिश का पानी बहे जा रहा था बेपरवाह,बेतरतीब सा.......
नन्हे-नन्हे कदमो के निशाँ गीली मिट्टी पर मासूमियत
छोड़े जा रहे थे और हाथों में कागज की नाव
मानो उसके बचपन को पुरा कर रहे थे...।
तभी कड़कती रौबदार-सी आवाज़ बारिशों के खिलखिलाहट को चीरते हुवे गूँजी--"छवि अंदर आ,
ऐसे "लड़कियों" को बाहर घूमना 'शोभा' नही देता..."
और....
"बचपन को समेटते वो अंदर आगयी...............।
#Preeति
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""तहज़ीब के नाम पर बंदिशे लगायी गयी
हम लड़कियां है हर बार बात बस यही बतायी गयी।
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""पायल की छनकती,
शोख़ आवाजें बारिश की बूंदों के साथ अठखेलियां कर रही थी........
बिलकुल बेपरवाह-सी,मगन होकर,
स्वच्छंद बढ़े जा रही थी गलियों में
जैसे बारिश का पानी बहे जा रहा था बेपरवाह,बेतरतीब सा.......
नन्हे-नन्हे कदमो के निशाँ गीली मिट्टी पर मासूमियत
छोड़े जा रहे थे और हाथों में कागज की नाव
मानो उसके बचपन को पुरा कर रहे थे...।
तभी कड़कती रौबदार-सी आवाज़ बारिशों के खिलखिलाहट को चीरते हुवे गूँजी--"छवि अंदर आ,
ऐसे "लड़कियों" को बाहर घूमना 'शोभा' नही देता..."
और....
"बचपन को समेटते वो अंदर आगयी...............।
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