"इश्क़ इत्र"



ख़्वाहिशों का अजब सा शोर है
एक रूठता है,इक मनाता है
इश्क में हर शख़्श,

अपना ज़ोर आजमाता हैं।।

दिल चीज ही ऐसी है
इक का टुटता है,
तो एक का जुड़ता हैं
कोई हँसता ही जाता है,
कोई रोता ही रहता है

इश्क है ये
इश्क में हर रंग आजाता है।।

छोड़ कोई जाता है
कोई ताउम्र साथ निभाता है
इंतजार में कोई रहता है
कोई इकरार कर जाता है

इश्क दरिया हैं
सबको बहा कर लेजाता है।।
जली पड़ी है दुनियां
इश्क के आग में
हर आशिक यहाँ मदहोश नजऱ आता है
इश्क इत्र है,हर ओर फैल जाता है।
इश्क इत्र है, हर ओर फैल जाता है ।।

#Preeति

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