इरफ़ान का आख़िरी ख़त...!!
"कुछ महीने पहले अचानक मुझे पता चला कि मैं न्यूरोएन्डोक्राइन कैंसर से जूझ रहा हूं, मेरी शब्दावली के लिए यह शब्द बेहद नया था. इसके बारे में जानकारी लेने पर पता चला कि यह एक दुर्लभ बीमारी है और इसपर ज्यादा रिसर्च नहीं हुआ है''. उन्होंने लिखा ''अभी तक मैं एक बेहद अलग खेल का हिस्सा था. मैं एक तेज भागती ट्रेन पर सवार था. मेरे सपने थे, योजनाएं थीं, अकांक्षाएं थीं. मैं पूरी तरह इस सब में बिजी था. तभी ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए मुझे रोका. वह टीसी था. बोला 'आपका स्टेशन आने वाला है. कृपया नीचे उतर जाएं. मैं परेशान हो गया बोला- 'नहीं-नहीं मेरा स्टेशन अभी नहीं आया है.' तो उसने कहा 'नहीं, आपका सफर यहीं तक था. कभी-कभी यह सफर ऐसे ही खत्म होता है." इरफान खान ने इस लेटर में आगे लिखा "इस सारे हंगामे, आश्चर्य, डर और घबराहट के बीच, एक बार अस्पताल में मैंने अपने बेटे से कहा 'मैं इस वक्त अपने आप से बस यही उम्मीद करता हूं कि इस हालत में मैं इस संकट से न गुजरूं. मुझे किसी भी तरह अपने पैरों पर खड़े होना है. मैं डर और घबराहट क...